तस्वीरों का सच
तस्वीरें हमेशा सच नहीं बोलती
दिल में छुपाए जज़्बात नहीं खोलती
दिखाती हॅसते मुस्कुराते चेहरे
हाथ पकङ करते अनंत बाते
माथे पर शिकन का राज़ नहीं खोलती
तस्वीरें हमेशा सच नहीं बोलती
बाहें फैलाए साथी बुलाते
गरमजोशी से हाथ मिलाते
बुदबुदाते होठों को नहीं देखती
तस्वीरें हमेशा सच नहीं बोलती
सच बोलकर मिलेगी भी क्या
खूबसूरत तस्वीर में विघ्न होगा
बुरी याद जो याद रखेगा ना कोई
कुरूपता क्यों देखना चाहेगा कोई
इसीलिये गम के मंज़र नहीं टटोलती
शायद इसीलिये हमेशा सच नहीं बोलती
चित्रा बिष्ट