Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2023 · 1 min read

तसव्वुर का नशा

तसव्वुर का नशा गहरा हुआ है
दिवाना बिन पिए ही झूमता है

नहीं मुमकिन मिलन अब दोस्तो से
महब्ब्त में बशर तनहा हुआ है

करूँ क्या ज़िक्र मैं ख़ामोशियों का
यहाँ तो वक़्त भी थम-सा गया है

भले ही ख़ूबसूरत है हक़ीक़त
तसव्वुर का नशा लेकिन जुदा है

अभी तक दूरियाँ हैं बीच अपने
भले ही मुझसे अब वो आशना है

हमेशा क्यों ग़लत कहते सही को
“ज़माने में यही होता रहा है”

गुजर अब साथ भी मुमकिन कहाँ था
मैं उसको वो मुझे पहचानता है

गिरी बिजली नशेमन पर हमारे
न रोया कोई कैसा हादिसा है

बलन्दी नाचती है सर पे चढ़के
कहाँ वो मेरी जानिब देखता है

हमेशा गुनगुनाता हूँ बहर में
ग़ज़ल का शौक़ बचपन से रहा है

जिसे कल ग़ैर समझे थे वही अब
रगे-जां में हमारी आ बसा है

•••

2 Likes · 286 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
Ranjeet kumar patre
"रिश्तों में चतुराई"
Yogendra Chaturwedi
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
Neeraj kumar Soni
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
Manisha Wandhare
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
शिव प्रताप लोधी
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )-
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )- " साये में धूप "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
shabina. Naaz
क्यो नकाब लगाती हो
क्यो नकाब लगाती हो
भरत कुमार सोलंकी
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
आज के समाज का यही दस्तूर है,
आज के समाज का यही दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
केशव
केशव
Dinesh Kumar Gangwar
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"यादों की बारात"
Dr. Kishan tandon kranti
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
फादर्स डे ( Father's Day )
फादर्स डे ( Father's Day )
Atul "Krishn"
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
sushil sarna
हाथ कंगन को आरसी क्या
हाथ कंगन को आरसी क्या
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
धनतेरस
धनतेरस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मुस्कान
मुस्कान
Surya Barman
4307.💐 *पूर्णिका* 💐
4307.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
खटाखट नोट छापो तुम
खटाखट नोट छापो तुम
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
#आज_का_मुक्तक
#आज_का_मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
जुदा नहीं होना
जुदा नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
इस क़दर उलझा हुआ हूं अपनी तकदीर से,
इस क़दर उलझा हुआ हूं अपनी तकदीर से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
27-28 साल की बिन ब्याही लड़कियाँ और बेरोज़गार लड़के, धरती पर
27-28 साल की बिन ब्याही लड़कियाँ और बेरोज़गार लड़के, धरती पर
पूर्वार्थ
Loading...