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4 Feb 2017 · 1 min read

तलाक़

तलाक़ तलाक़ तलाक़
एक लब्ज़ जो
कर देता है पल भर में
रिश्तों को तार तार
काँप जाती है रूह सुनकर
औरतो के साथ हो रहा
एक खिलवाड़ सदियों से
घुट घुट कर जीने को
लाचार एक औरत का
दर्द है तलाक़
मनमानी करने का षड्यंत्र
हक़ को दबाने का मंत्र
अय्याशी के लिये स्वतंत्र
कौन है इसका सूत्रधार
किसको था इसका अधिकार
क्या थी उसकी चाल
क्या मिलेगा इंसाफ
इस तलाक़ रूपी शैतान से
या फिर धर्म का चोगा
पहन छुप जायेगा
धर्म के ठेकेदारों के
फतवो में
या छोड़ जायेगा फिर से
कोई मज़बूरी या एक बेबसी
औरतों के लिये
बनेगी कोई मिसाल
या दे जायेगा एक और ताकत
पुरूषो को फिर से
अय्याशी करने का ?
औरतों को असबाब समझने का
बदलेगा इतिहास मिलेगा निस्तार
जिसका था इन्तजार
सदियों से औरतों को ?

Language: Hindi
289 Views
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