“तलाश”
“तलाश”
– राजा सिंह
ऐ मेरी मौत !
तू कहाँ कहाँ भटका करती है ?
मैंने तुम्हे तलाशा था ,
जब बाप दारू के नशे में
नंगा नांच रहा था .
ऐ मेरी मौत !
तू उस वक्त कहाँ थी ?
जब मेरी माँ दम तोड़ रही थी
और मै गिडगिड़ा रहा था,
शतरंज खलेते सरकारी डॉक्टर से ,
उसे देखने के लिए .
ऐ मेरी मौत !
तू उस वक्त भी नहीं आई
जब मेरी बहन को
गुंडे रौद रहे थे
और मै बेबस
खड़ा निहार रहा था .
ऐ मेरी मौत !
तू अब भी नहीं आ रही है ,
जबकि लोग मुझे
पागल कहकर पत्थर
मार रहे हैं .
–राजा सिंह