तलाश
जिन्दगी बेरंग सी है, हुई क्या बात तलाश करो।
खौफ़़ में है सारा जहाँ, क्या हैं हालात तलाश करो।
हवाओं में बिखरी है क्यों बेरुखी,
उडा़ई किसने ये राख तलाश करो।
खिला करते थे गुलाब बागों में हर तरफ़,
मुरझाई क्यों है हर शाख,तलाश करो।
रोशन -रोशन था हर गली- कूचा,
बुझ गया क्यों वो चिराग,तलाश करो।
धुआँ; धुआँ बन गया है हर ख़्वाब,
किसने लगाई है ये आग, तलाश करो।