तलाक
न उलझी थी
न सुलझी थी
जब हम प्रेम पाश में बंधे थे
की अब कोई प्रेम को प्यास न मानता
जब से ये तलाक पास आई है
तखय्युल करता है ये जीवन ख़िज़ा सा
की हर शामें आलम सी छाई है
और मलालें तन्हाई आई है।
#रश्मि
न उलझी थी
न सुलझी थी
जब हम प्रेम पाश में बंधे थे
की अब कोई प्रेम को प्यास न मानता
जब से ये तलाक पास आई है
तखय्युल करता है ये जीवन ख़िज़ा सा
की हर शामें आलम सी छाई है
और मलालें तन्हाई आई है।
#रश्मि