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7 May 2024 · 1 min read

तलबगार

कब तलक खुश्क रहेंगी आख़िर ये मिरी नज़र |
इस तरफ़ मिरे दिल का माजरा, उस तरफ़ दिल – ए – यार की नज़र ||

दोस्त है तो दोस्ती मे सँभालना भी होता है मुर्शिद |
दोस्तों पर चलाई नहीं जाती इस कदर कातिल नज़र ||

ये आलम – ए – बुत – परस्ती यूँ ही नहीं फ़ैला आजकल फ़ाज़ओ मे |
किसी फनकार ने तस्वीर मे उतार दी वो दिलकश नज़र ||

इक इक साँस के साथ हम ग़म ख्वारा – ए – इश्क़ करे |
मुक्कमल ही नहीं कोई तालीम जो पढ़ ले वो सुरमई नज़र ||

ये हादसा – ए – इश्क़ मिरे साथ होना तय ही था यारों |
मुझ पर जम कर बरस रहीं थीं उसकी दस्तरस्ती नज़र ||

बुलबुलों, तितलियों दो दिन की मौज और सही |
बाग़ पर पड़ गयी है कुछ पेशा – ए – शिकार की नज़र ||

बैचैनी के सुरूर मे अब हम भी शामिल है |
दिल को दिल बना गई उस संग दिल की नज़र ||

Language: Hindi
38 Views

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