तराजू
सोच समझ कर ही सदा,अधरों को तू खोल
लिये तराजू हाथ में , तोल मोल के बोल
तोल तराजू पर प्रथम, शब्दों का तू भार
यही जोड़ते तोड़ते, रिश्तों का संसार
गिन गिन कर करना नहीं , अपने प्रभु का ध्यान
और तराजू तोलकर, उचित नहीं है दान
सिखा तराजू भी रही,हमें एक सिद्धांत
लेन देन यदि सम रहे,मन रहता है शांत
पाप पुण्य को आंक मत, कभी तराजू तोल
पाप कभी छिपते नहीं, पहन पुण्य का खोल
तोल तराजू पर लिये,जिसने अपने बोल
अमृत वाणी बन वही, हो जाते अनमोल
16-01-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद