तमाम तक़लीफ़ों के बीच
अक़सर देखा है
मैनें
शहर में
फुटपाथों पर
फटेहाल ,
मैले कुचैले
अनाथ बच्चों को
भिखमंगों को
बेघर
लोगों को
जिंदा रहने के लिए
संघर्ष करते,
लड़ते झगड़ते ,
गाली गलौज़ करते,
हँसते गाते,
गिड़गिड़ाते,
और
हाँ
बेखौफ़
चैन
की नींद
सोते
हुए ।
तमाम तक़लीफ़ों
के बीच ।
-अजय प्रसाद