तमाम झूठ भी बोलेंगे औ’र मनायेंगे।
गज़ल
1212 1122 1212 22
तमाम झूठ भी बोलेंगे औ’र मनायेंगे।
तुम्हें सतायेंगे जब जब चुनाव आयेंगे।
ये जीत जायें तो इक बार देख लेना तुम,
ये पांच साल में वापस न मुँह दिखायेंगे।
जरा झुका के चलो आँखें झील सी अपनी,
तुम्हारी आखों में कितने ही डूब जायेंगे।
न बैठ यार तू सरकार के भरोसे पर,
रखो भरोसा कि अब खुद कमा के खायेंगे।
हमें जो भूल गये देंगे हम सबक तुमको,
कि वोट से ही तुम्हें धूल हम चटायेंगे।
किसी गरीब के हक को अगर चे मारा है,
नहीं वो पाप से मरकर भी छूट पायेंगे।
डरें न हम जो जरा सी लगे कठिन मंजिल,
हमें भरोसा है हम सब जरूर पायेंगे।
हवा में झूठ के पुल बांधना नहीं आता,
कही जो बात है हम करके भी दिखायेंगे।
ये जिंदगी का सफर साथ में गुजारा है,
तुम्हारे प्यार को प्रेमी न भूल पायेंगे।
……..,✍️प्रेमी