तमन्ना आराम करने की औरो से ज्यादा
तमन्ना आराम करने की औरो से ज्यादा हम भी रखते हैं
सब से ज्यादा आराम फरमाने की इच्छा हम भी रखते हैं !!
यह पापी पेट जो लग गया आकर इस जिस्म के अंदर
वरना हजारों दिलों में अपने अरमान हम भी रखते हैं !!
न किसी से मिल सकते, न किसी के पास जा सकते
यह काम का बोझ ऐसा है, बस यहीं याद उनको रोज रखते हैं !!
इंसान बेचारा, काम के बोझ का मारा , कुछ कर नहीं सकता
चाहत को अपने, हर पल बस यूं ही यहाँ दबा कर है चलता !!
ऊपर वाले तूने, क्या सोच कर इंसान को बना कर भेजा धरती पर
वो पल पल यहाँ , काम कर कर के, ऐसे ही है बस मरता !!
यह भी वैसे तेरा रहम है, की हर इंसान को कुछ न कुछ काम दिया है
सब को मेहनत करने का, कुछ को आराम का बस काम दिया है !!
तेरी याद आती रहे, मेरा काम चलता रहे, दोस्तों का प्यार मिलता रहे
यही ख्वाइश बहुत है, “अजीत” को ,की रहमत का दरवाजा खुलता रहे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ