Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2024 · 1 min read

चल पड़ी है नफ़रत की बयार देखो

दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले दुआओं से नवाजे,,,!!!

ग़ज़ल
====

चल पड़ी है नफ़रत की बयार देखो,
बच सको, तुम बच लेना यार देखो।
=====================

धर्म का झगड़ा,ला कर सड़कों पर,
है किया कैसे,लहूलुहान दयार देखो।
=====================

चाहते हो मरना गर है मर्जी तुम्हारी,
हर कदम बैठे जल्लाद तैयार देखो।
=====================

है फिक्र न उनको अब हमारी देखो,
मत ले,चलाऐ हम पर हत्यार देखो।
=====================

चैन-अमन चुराया, सता के खातिर,
है दया गर तुम बन कर मयार देखो।
=====================

है न सुकूं अब सता में शायर “जैदि”,
छोड़ कर नफ़रत कर के प्यार देखो।
=====================

मायने:-
बयार:-हवा
दयार:-भूखंड,
मयार :-दयालु

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 63 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
*चाटुकार*
*चाटुकार*
Dushyant Kumar
Cottage house
Cottage house
Otteri Selvakumar
आपके स्वभाव की
आपके स्वभाव की
Dr fauzia Naseem shad
17रिश्तें
17रिश्तें
Dr Shweta sood
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
कवि रमेशराज
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
कवि दीपक बवेजा
🙅ओनली पूछिंग🙅
🙅ओनली पूछिंग🙅
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
शेखर सिंह
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
*तुम और  मै धूप - छाँव  जैसे*
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
हरवंश हृदय
पत्तों से जाकर कोई पूंछे दर्द बिछड़ने का।
पत्तों से जाकर कोई पूंछे दर्द बिछड़ने का।
Taj Mohammad
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें नमन।
मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उन्हें नमन।
Paras Nath Jha
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
ऐ मां वो गुज़रा जमाना याद आता है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गिलहरी
गिलहरी
Kanchan Khanna
🎊🏮*दीपमालिका  🏮🎊
🎊🏮*दीपमालिका 🏮🎊
Shashi kala vyas
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
गरीबी की उन दिनों में ,
गरीबी की उन दिनों में ,
Yogendra Chaturwedi
आज की नारी
आज की नारी
Shriyansh Gupta
जज़्बा है, रौशनी है
जज़्बा है, रौशनी है
Dhriti Mishra
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
आनंद प्रवीण
बहुतेरा है
बहुतेरा है
Dr. Meenakshi Sharma
Loading...