Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 2 min read

तमन्ना।

मरना ही जब ।
जीवन का प्रबल सार है ।
फिर क्यूं किसी को होता अंहकार है ।
ये दौलत की गर्मी ।
ये शोहरत के आदी ।
किसी हसीन लड़की से ।
ख्वाब करने की शादी ।
फिर परिवार को सम्भालो ।
सबका पेट पालो ।
इसी मे गुजरती शेष बची जवानी।
काम,क्रोध, मद, लोभ ।
ईर्ष्या सब किया तू ये प्राणी ।
हमसे आगे न कोई बढ जाए ।
इसके लिए वो कुछ भी कर जाए।
स्वार्थ निकालने के लिए किसी की हत्या भी किए ।
और ये मत पूछो कितने जुर्म पाले।
आज के कार्य को ।
सदैव तुम कल पर टाले ।
मेहनत से तुम काम किए नही ।
दूसरो के तुम छिनने लगे निवाले ।
पैसे से तुमने कानून को खरीदा ।
ये पुलिस वाले, दाल में काले ।
निर्दोषो को तुमने किया उनके हवाले ।
पर सबका होगा इंसाफ ।
सुन रूहे जाएंगी कांप ।
उस न्याय की अदालत में ।
कोई न बचेगा ।
जो हैं किया ।
सब दण्ड मिलेगा ।
रिश्वत का रूस्वा ।
वहां न हैं चलता ।
ये बदन पर कपड़े ।
नही हैं रहता ।
फिर जेबो मे पैसे ।
कहां से होगा ।
वहां पर पुण्य की ही गिनती होगी।
केवल ब केवल शांति होगी ।
वहां कोई न सुनेगा ।
तेरे चित्कार को ।
तेरे हाहाकार को ।
माया के वशीभूत ।
होकर सभी तो ।
सुखे मे करते है ।
नमी वो ।
सबको पता है कल ।
तो मरना है ।
पर जब तक न आए ।
बस पाप ही करते रहना है ।
अचानक मौत हैं द्वार पर आती ।
बुझ जाती है तब अंदर कि दीया-बाती ।
जो मरने पर किसी के रोते हैं ।
कल वो भी मरेंगे ।
फिर भी कुछ न सीखते है ।
माया मे ही बस लिप्त रहते है ।
मृत्यु ही जीवन की ।
धनुष की अंतिम टंकार है ।
फिर भी न जाने लोग ।
करते किसका अंहकार है ।
महात्मा बुद्ध की वाणी ।
कबीर के दोहे ।
कुरूक्षेत्र से जन्मी भगवद्गीता की बोली ।
को आत्मसात है जिसने भी किया ।
मुक्ति का द्वार विधाता ने पहले से खोल है रखा ।
वो खुद राम सा बन जाता ।
इंसान से ऊपर का दर्जा पाता ।
विचार,आचार,संस्कार ।
ये तीनो ही नैतिक मूल्य ।
जिसके मूल मे गर सात्विकता आ जाए ।
वही इंसान इस धरा के वसूलो में।
भगवान् बनकर चमक जाता है ।

Language: Hindi
279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
gurudeenverma198
कविता (आओ तुम )
कविता (आओ तुम )
Sangeeta Beniwal
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
जन्म-जन्म का साथ.....
जन्म-जन्म का साथ.....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तुझसे लिपटी बेड़ियां
तुझसे लिपटी बेड़ियां
Sonam Puneet Dubey
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
मात गे हे डोकरा...
मात गे हे डोकरा...
TAMANNA BILASPURI
गांव जीवन का मूल आधार
गांव जीवन का मूल आधार
Vivek Sharma Visha
पिताश्री
पिताश्री
Bodhisatva kastooriya
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" लिहाज "
Dr. Kishan tandon kranti
4293.💐 *पूर्णिका* 💐
4293.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शांत सा जीवन
शांत सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम्हीं मेरा रस्ता
तुम्हीं मेरा रस्ता
Monika Arora
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
कर्मों से ही होती है पहचान इंसान की,
शेखर सिंह
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
ख़ुद को
ख़ुद को "फ़ॉलो" कराने के शौकीन असंख्य "फेसबुकी (नर-मादा)सो-कॉल
*प्रणय प्रभात*
रोजगार मिलता नहीं,
रोजगार मिलता नहीं,
sushil sarna
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
VINOD CHAUHAN
नारी कहने को देवी है, मगर सम्मान कहाँ है,
नारी कहने को देवी है, मगर सम्मान कहाँ है,
पूर्वार्थ
*कवि बनूँ या रहूँ गवैया*
*कवि बनूँ या रहूँ गवैया*
Mukta Rashmi
गुलाम
गुलाम
Punam Pande
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...