तमन्नाओ की बन्दिशे
तमन्नाओ की बन्दिशे अब गायी नहीं जाती
मुहब्बत के शेर सब औंधे पडे है
डूब रहे थे इश्क के दरिया मे जो संग
हम डूब रहे है, वो साहिल पे खडे है
हमसे अलग होने को कदमो की दिशा बदली
वापस न आयेंगे जो पग मेरे आगे बढे है
क्या हाथ उठाऐगें वजू करने को वो प्रीति
जो अहम की धरापर जिद पर अडे है