Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 2 min read

*तपन*

डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक- अरुण अतृप्त
तपन

मन आज कल किसी का खुश कहां है ?
जैसे तैसे जीने का बस एक बहाना हुआ है ।
जैसी मेरी जिंदगी वैसी ही तोहरी स्थिति है सखी।
सजन अब कौन किसका मददगार यहां हुआ है ।
काम होते हैं बस गुजारे लायक कहने को हुआ है ।
तृप्त होकर व्योम जैसे बेसुध अलसाया सा पड़ा है।
पांच दिन से भास्कर ने दर्शन ही नहीं दिए जगत को ।लगता है वो भी थका हुआ था रीति नीति भूलकर ,
अनीति से बहस में हारा तिरस्कृत शिथिल मायूस, परित्याग के दंश से दग्ध, अपमानित, गुस्सा जिसका अब, समग्र विश्व झेल रहा है ।
मन को कोयला न करना मानव, आस ही तो विश्वास है।
आज बादल है धुआं है कोहरा है तो क्या कल उगेगा नया सूर्य।
ये गणित का त्रिकोण राशि के अनुसार भविष्य भंडार है।
जीवन मंत्र रोज़ जपा कीजिए क्या मैं और क्या आप।
हाड़ मांस का ठीकरा हम सभी के साथ है।
दुविधा में पड़ कर रोना नहीं सुविधा में आलस्य नहीं।
ये जीवन जगत कर्ता ने जैसा दिया उसको खोना नहीं।
मन आज कल किसी का खुश कहां है ?
जैसे तैसे जीने का बस एक बहाना हुआ है ।
फूल को ही देखिए, एक दिन का खिलना जिसका ।
कभी देखा नहीं रोते हुए मुस्कुराता सदा चेहरा उसका।
प्रकृति पुरुष संवाद में पशु नर गावे गीत , सुबह हुई तो खिल उठे, और रात भई निर्जीव।
जितने दिन संसार है वो तेरा खेवनहार है, इसको सिमरन कर मना, बस इतना ही संगीत है।
मन आज कल किसी का खुश कहां है ?
जैसे तैसे जीने का बस एक बहाना हुआ है ।

Language: Hindi
107 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
हे कृष्णा
हे कृष्णा
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
"व्यर्थ सलाह "
Yogendra Chaturwedi
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*परिस्थिति*
*परिस्थिति*
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
Ajit Kumar "Karn"
गलतफहमी
गलतफहमी
Sanjay ' शून्य'
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
Dr.Khedu Bharti
गर तुम हो
गर तुम हो
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
जिंदगी बहुत आसान
जिंदगी बहुत आसान
Ranjeet kumar patre
Truth 🧡
Truth 🧡
पूर्वार्थ
कल हमारे साथ जो थे
कल हमारे साथ जो थे
ruby kumari
समाज का डर
समाज का डर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अजब-गजब
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आप समझिये साहिब कागज और कलम की ताकत हर दुनिया की ताकत से बड़ी
आप समझिये साहिब कागज और कलम की ताकत हर दुनिया की ताकत से बड़ी
शेखर सिंह
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इक बार वही फिर बारिश हो
इक बार वही फिर बारिश हो
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
जय लगन कुमार हैप्पी
मां बाप
मां बाप
Mukesh Kumar Sonkar
" मेरा भरोसा है तूं "
Dr Meenu Poonia
"अजीब रवायतें"
Dr. Kishan tandon kranti
यूँ  तो  दुनिया  में  मेले  बहुत  हैं।
यूँ तो दुनिया में मेले बहुत हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
..
..
*प्रणय*
राम राज्य
राम राज्य
Shriyansh Gupta
Loading...