*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)
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तपती धूप सता रही ,माँ बच्चे के साथ
जीवन-रण में चल पड़ी ,पकड़े-पकड़े हाथ
पकड़े-पकड़े हाथ ,टोकरी सिर पर लादे
सूरज उसमें बाँध ,निडर करके कुछ वादे
कहते रवि कविराय ,नाम श्रम का नित जपती
माँ का शौर्य असीम , रोज गर्मी में तपती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451