“तन्हा रातें”
तन्हा-तन्हा है रातें,
तन्हा रात अब कटती नहीं हैं।
जिंदा है उनकी यादें,
ये यादें भी अब मरती नहीं हैं।
दीवारें भी बात-बात में,
हर बात उन्ही की करती हैं।
दिल पर लगें दाग मिटाता हूं,
ये आंखे बात उन्ही की करती हैं।
हम बढ़ते चले जा रहे है,
जैसे आधी रात को वो पास बुलाती है।
ये तन्हाई सहन नही होती,
वो आंखों से ओझल हो जाती हैं।