तन्हा घर
घर तन्हाई से भर गया है।
कोई इतना तन्हा कर गया है।
जाते ही तेरे जिंदगी से
कुछ मेरे अंदर मर गया है।
बुझते बुझते वो दीया
अंधेरा कितना कर गया है।
आंसू अब आये तो कैसे
सूख चशमे तर गया है।
करू तुमको कैसे मैं सजदा
छिन मुझसे वो दर गया है।
सुरिंदर कौर