तन्हाई में कौन जलेगा
विदा हुईं जो बैरन खुशियाँ, शहनाई में मौन जलेगा।
तुम बिछड़े तो अश्रुधार की, पहुनाई में मौन जलेगा।।
सही सलामत हैं खुशियाँ तो, जलने वाला खूब जलेगा।
यदि कलियों सँग रंगरलियां तो, मन ही मन महबूब जलेगा।
फूल बिछे हों पथ में तुम बिन, सर्द भूमि पर पाँव जलेगा।
हाँथ अगर तुम थामो मेरा, मुझसे सारा गाँव जलेगा।
तुम स्वीकृति दो इस आशा में, हृदय दीप सा जलता मेरा,
मैं न रहा तो तेरे हिय की अंगनाई में कौन जलेगा।।
सुधा प्रसारण लक्ष्य उसी का, जो विष पी पी बढ़ा पला है।
ना जाने क्यों जगत समूचा, प्रेमी हिय से कुढ़ा जला है।
भय दिखलाकर लोक लाज का, जीवन भर अभिसार जला है।
विरह- व्यथित हैं सावन -भादौं, मधुमासों में प्यार जला है।
झर चुकते जब सारे आँसू, नयन प्रतीक्षारत जलते हैं,
मत आना तुम बापस बरना, तनहाई में कौन जलेगा।।
संजय नारायण