तन्हां जो छोड़ जाओगे तो…
तन्हां जो छोड़ जाओगे,
तो महफ़िल बनाएंगे।
काली रात दे जाओगे,
तो तारों की बारात सजाएंगे।
आंसू दे जाओगे,
तो हरियाली बरसाएंगे।
अंधेरा दे जाओगे,
तो जूगनुओं को बुलाएंगे।
कांटे दोगे,
तो उसपर गुलाब खिलाएंगे।
वादें तोड़ोगे,
तो काम आएंगे।
मुंह मोड़ोगे,
तो मुस्कुराना सिखाएंगे।
राह दोगे,
तो मंज़िल को पाएंगे।
चलने का हुनर है हममें,
हम तो चलते जाएंगे।
यहां तक पहुंचे है,
तो थोड़ा और बढ़ जाएंगे।
तुम्हें क्या लगता है?
छोड़ दोगे हमें,
तो हम मातम मनाएंगे?
हम तो वो है जनाब,
जो रात को भी सवेरा बनना सिखाएंगे।
✍️सृष्टि बंसल