तनहा इंसान
मुस्कुराता चेहरा ही तो, देख पाते हैं लोग।
दर्द कितना है दिल में ,ये कहां जान पाते हैं लोग।।
तू खुश मिजाज हैं,हंसमुख है,बस यही जान पाते हैं लोग ।
तू अंदर से कितना टूटा हुआ है , इससे कहां रूबरू हो पाते हैं लोग।।
तेरी शोहरत को देख लेते हैं लोग।
तेरे खालीपन को कहांं देख पाते हैं लोग।।
चाहत थी, कोई हमनवांं ऐसा मिले,
जिससे तन्हाई अपनी बाँटू।
पर और तनहा कर जाते हैं लोग ।।
आज जब नहीं हूं इस जहां में, तो मेरी तन्हाईयों को बांटने की बात करते हैं लोग।
जब था, तो अपनी महफिल में भी बुलाने से कतराते थे लोग।।
मुस्कुराता चेहरा ही तो देख पाते हैं लोग।
दर्द कितना है दिल में कहां जान पाते हैं लोग।।