तथ्य जान लो,सत्य जान लो—–
बंधु मेरे !
पहले तथ्य जान ले—
पूरा-पूरा सत्य जान ले
न गाल बजा, न ताल बजा!
मैंने सुना है ,लंकेश्वर ने सही कहा है-
प्रजा ने कब राजा को श्रेष्ठ कहा है?
जनता जैसे वस्त्र बदलती
वैसे ही कुछ तख्त बदलती!
मेरे प्यारे साथी सुन लो
प्यारे देशवासियों सुन लो—
थोड़ा चिंतन-मनन करो
देश एक से कब चला है?
थोड़ी पीड़ा तुम भी सह लो
राष्ट्र हित की ,मंगल यात्रा में
एक कदम तुम भी चल दो
विजय पताका जब लहराये
हर्ष-हर्ष के नारे कह दो।
मुकेश कुमार बड़गैयाँ,कृष्णधर द्विवेदी
mukesh.badgaiyan@gmail.com