तज के अपने अहंकार को
तज के अपने अहंकार को
आवाज दो उस झंकार को
बिन जिसके महल खंडर हुआ
पुकार लो उस दिलदार को
शम्स को गर कैद करोगे
फिर तिमिर से गिला क्या
गुनगुनाते सहर के लिए
खोल दो बन्द हृदय द्वार को
~सिद्धार्थ
तज के अपने अहंकार को
आवाज दो उस झंकार को
बिन जिसके महल खंडर हुआ
पुकार लो उस दिलदार को
शम्स को गर कैद करोगे
फिर तिमिर से गिला क्या
गुनगुनाते सहर के लिए
खोल दो बन्द हृदय द्वार को
~सिद्धार्थ