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1 Oct 2021 · 1 min read

वरिष्ठ जन

वरिष्ठ नहीं सिर्फ अनुभव के,
भंडार होते है स्नेह प्यार के ।
इन्ही से शुरू होते है हम,
यह शिखर है परिवार के ।
वृद्धजन अधिकारी सम्मान के।।
खाते रूखा, बच्चे न रहे भूखा,
जिनके लिये जीवन ये लिखा ।
बोझ नहीं वो, सहा है बोझा,
नहीं रहे ये पड़ाव अब सूखा ।
ये अधिकारी अब मुस्कान के।।
वृद्धजन अधिकारी सम्मान के।।
मेहनत से ही वो परिवार पाला।
बच्चों को दिया हर हाल निवाला।
बारी तुम्हारी मदद उनकी करना,
फेरते है वह दुआओं की माला।
आश्रम क्यों? वह देव मकान के।।
वृद्धजन अधिकारी सम्मान के।।
अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर समर्पित-
(रचनाकार- डॉ शिवलहरी)

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 440 Views
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