तजुर्बा
उम्र की तजुर्बे से सीखकर,
खुद को समय के साथ ढालने लगी हूँ।
अब कोई ज्यादा प्यार दिखाता है,
तो खुद को सम्भालने लगी हूँ।
नफरत से अब डर नही लगता है,
अब ज्यादा प्यार देखकर डरने लगी हूँ।
मिला जिदंगी में अपनों से इतना धोखा,
अब परायों से नही, अपनों से डरने लगी हूँ।
एक वक्त था जो कीड़ों-मकोड़ो से डर जाती थी,
अब साँप का फन भी कुचलने लगी हूँ।
गुजर गया वो जमाना,
जब कोई भी दिल पर चोट कर चला जाता था।
अब ईंट का जवाब पत्थर से देने लगी हूँ।
प्यार से मांगे तो आज भी जान दे दूँ ,
पर नफरत का जवाब, अब नफरत देने लगी हूँ।
अनामिका