तकलीफें
तकलीफें
जिंदगी का नाम ही तकलीफ है या फिर तकलीफें है तो जिंदगी है
ये बात आज तक समझ नहीं आई
ना जाने जिंदगी ने हर कदम पर भूमिका शिक्षक की निभाई
कुछ पल सही से बीतेंगे नहीं उससे पहले नए इम्तिहान आ जाते है
हर बार अलग विषय होते है
और हर बार अलग ही सवाल आते है
उन सवालों के जवाब मिलते ही जिंदगी फिर सवाल बदल देती है
सही से चल रहे सफ़र को एक बार फिर तकलीफों से भर देती है।
इंसान भी जिद्दी परिंदा है, अपनी ही जिद्द से जिंदा है
सुबह की शुरूआत से लेकर रात के अंधेरे तक एक नई उम्मीद लेकर चलता है
कभी उसका हौसला बढ़ जाता है तो कभी जैसे ढलते हुए सूरज के जैसे ढलता है
ये जीवन चक्र ही सारा तकलीफों का सार है
यहां कम कुछ नहीं
होता सब विस्तार है
जिसने समझ ली पहेली इस जीवन की उसका लगता नहीं कुछ भार है।
रेखा खिंची ✍️