ढूंढ रहा था
मैं
ढूँढ रहा था खोज रहा था तलाश रहा था
खुशी कोने कोने में
सबने यही कहा ख़ुशी नही मिलती ओने पौने में
फिर गुरुदेव ने बताया उस शख्स का पता
मौजूद है जिसके पास मेरी खुशी का हर सामान
मौजूद है जिसके पास मेरी हर खुशी का आयाम
मिला जब उससे,पता चला, मुझे जानता है जनम से
मुझे भी लगा पहचाना सा, कहता हूँ कसम से
उससे मिलते ही,ना जाने क्यों आँखें बंद हो गई मेरी
चेहरे पर खिल आई अनायास ही एक मुस्कुराहट
वो भी मुझे देख रहा था, आईने से,बिना किये कोई आहट !