ढाई अक्षर प्यार के
ढ़ाई अक्षर प्यार के
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ढ़ाई अक्षर प्यार के
प्रेम भरी झनकार के
अधूरा शब्द प्यार है
ख्वाब है संसार के
जिंदगी उलझनों भरी
स्नेह चले संवार के
बोझिल मनवा बांवरा
हल्का सहारे यार के
नेह से जीवन रंगीं
संभव ना इकरार के
जरा सा मनमुटाव हो
सुर लगते तकरार के
प्रीत की रीत सदा से
रंग तकरार प्यार के
अनुराग से वैराग्य
प्रेम रास्ते बहार के
सुखविन्द्र पूर्ण नहीं
दे वास्ते दिलदार के
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)