ढाई अक्षर का शब्द प्रेम
****** ढाई अक्षर का शब्द प्रेम ******
*******************************
ढाई अक्षर का शब्द देखो है यह प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
संयोग , वियोग प्रैम कहा दो मूल भाव हैं
बिन रुकावट जीवन में अनवरत बहाव है
सुख दुख का दरिया गहरा है बहुत अपार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
भिन्न भिन्न रंगों में यह खूब रंगा हुआ है
विभिन्न रुपों परीक्षाओं संग मंढा हुआ है
प्रत्येक रंग में दिखाए करतब कई हजार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
वात्सल्य प्रेम रूप का कोई है नहीं सानी
माता पिता की सदा लगती है मीठी वाणी
स्वर्गतुल्य मिले प्यार, करे जीवनचक्र तार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
भाई बहनों का प्यार होता है सबसे न्यारा
लड़ते झगड़ते हैं पर रहना है साथ गवारा
संग साथ खेल मेल से बढता रहता प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
दामपत्य प्रेम एक ही गाड़ी के दो हैंं पहिए
गृहस्थ जीवन चलता पति पत्नी के जरिए
वाद,विवाद,संवाद ,तकरार से बढता प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
दोस्ताना निस्वार्थ स्नेह है बहुत अनमोल
हर स्थिति में साथ निभाते बिना कोई मोल
खाते पीते,हंसते गाते,मस्ती से भरपूर प्यार
जीवन में खुशियाँ देत है जो हमें बेशुमार
प्रेमी पंछी परिंदों का गहरा है विचित्र प्रेम
कसमें ,वादे,वफाओं, जफ़ाओं भरा हैं प्रेम
वियोग में रोते रहते हैं,संयोग में हर्ष अपार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
मनसीरत प्रेम शब्द सदैव अमर अजर है
नेह के अभाव में जिन्दगी में नहीं सबर है
अनुराग बिन तो सावन रुत हो जाए बेकार
जीवन मे खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
ढाई अक्षर का शब्द देखो है यह प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है जो हमें बेशुमार
********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत