ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना
जनम लेकर, खेल सह सद्भावना|
युवावस्था प्यार की संभावना |
बुढ़ापे में ज्ञान आया, तन झुका |
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
जनम लेकर, खेल सह सद्भावना|
युवावस्था प्यार की संभावना |
बुढ़ापे में ज्ञान आया, तन झुका |
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता