ढकते मीठी बात से
कुंडलिया छंद…
ढकते मीठी बात से, जो अन्तर्मन खोट।
अवसर पाते ही वही, देते अक्सर चोट।।
देते अक्सर चोट, जाल बुनते कुछ ऐसा।
होता वह ही कार्य, चाहते वे हैं जैसा।।
भोगों का हर स्वाद, हमेशा ये ही चखते।
‘राही’ खोटे लोग, खोट अपना हैं ढकते।। 595
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’