ड्यूटी टाइम
ड्यूटी टाइम
वैशाली घर का सारा काम-काज निपटा कर टेलिविजन देखने बैठी ही थी। तभी कॉल बैल बजी। घड़ी देखकर सोचने लगी संजय के आने का समय तो नहीं हुआ। फिर कौन आया है?
इसी उधेड़बुन में उसने दरवाजा खोला तो, दरवाजे पर अपने पति संजय को पाया। जो आज ड्यूटी से जल्दी घर आ गया।
वैशाली ने उत्सुकतावश पूछा, “आज जल्दी कैसे आ गए?”
संजय ने उसकी जिज्ञासा शांत करते हुए कहा, “अब मैं प्राइवेट स्कूल का अध्यापक नहीं हूँ। सरकारी स्कूल का अध्यापक हूँ। ड्यूटी टाइम से पहले भी आ सकता हूँ।
संजय की बातें सुनकर, वैशाली चाय बनाने रसोई में चली गई।
-विनोद सिल्ला