डूबे किश्ती तो
क्यों उसकी आवाज मुझ तक नहीं पहुंची,
बुलाया होगा मगर, दूर से बुलाया होगा।
आँखें नम हैं और इनमें कोई तिनका भी नहीं,
बात कुछ और है, किसी ने रुलाया होगा।
वादा करके गया था झूठा, कि जल्द लौटेगा वहीँ,
मुझे लगता नहीं कि अब भी वह आया होगा।
तुझको कोई इमदाद कैसे नसीब न हो पाई,
जरूर सोते हुओं का दरवाजा खटखटाया होगा।
डूबे किश्ती तो कैसे-कैसे कयास लगते हैं,
खुद से डूबी है यह, या किसी ने डुबाया होगा।
ऐसा लगता है कि साँसें बाकी हैं उसमें,
जिसकी चाहत है उसे, शायद वह नहीं आया होगा।
वह आज अपनी चुनरी ओढ़ कर नहीं आयी,
दामन में किसी ने तो उसके दाग लगाया होगा।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”