डूबने लगती है किश्ती,चूहे भी छोड़ जाते है –आर के रस्तोगी
डूबने लगती है जब किश्ती,चूहे भी छोड़ जाते है |
आता है जब बुरा वक्त,अपने भी मुंह मोड़ जाते है ||
समझते थे जिनको अपना,वे भी साथ छोड़ जाते है |
मरने पर रिश्तेदार भी,अकेला मरघट छोड़ जाते है ||
परख होती है दोस्त और बीबी की जब बुरा वक्त आता है |
पता लग जायेगा तुमको,जब वे तुम्हारा साथ छोड़ जाते है ||
जिन्दगी के लम्बी दौड़ में,कब कौन किसका साथ देता है |
मालूम हो जायेगा तुमको,जब वे तुम्हारे साथ दौड़ जाते है ||
सजा लो जिन्दगी का चमन तुम,बेहतरीन ख्श्बूदार फूलो से |
कुछ लोग ऐसे आयेगे,जो फूल ही नहीं गमले भी तोड़ जाते है ||
रस्तोगी की फूटी है किश्मत,उसे और क्या ज्यादा फोडोगे |
मै तो उसको भी पनाह दूंगा,जो मेरी किश्मत फोड़ जाते है||
आर के रस्तोगी
गुडगाँव (हरियाणा)
मो 9971006425