टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
डूबता सूरज हूॅ॑ या कोई टूटा हुआ ख्वाब हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला जलता हुआ चिराग हूॅ॑ मैं
महफिलों में हॅ॑सता रहा धड़कनों में बसता रहा
लबलबाते जाम से यूॅ॑ छलकी हुई शराब हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला……………
जिंदगी कोई गीत है मगर सुर है ना संगीत है
श्याम की तनहाई में एक तड़पता राग हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला…………..
सांसों की खबर नहीं है मौत का भी डर नहीं है
जिंदगी को जला डाला वो दहकती आग हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला………….
फितरत नहीं मायूस होना ना आंसुओं में डूबना
गम मिला या दर्दे-दिल गुंजती यूॅ॑ आवाज हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला…………
खुद को जब खामोश पाया तब मुझे ये होश आया
उसने लगाया दाग लेकिन आज भी बेदाग हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला…………
‘V9द’ कहता है ये सदा सुनो जिंदगी है फलसफा
अंत होना है सुनिश्चित लेकिन नया आगाज़ हूॅ॑ मैं
बंद कमरे में अकेला…………