” डिजिटल मित्रता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमारी भी उत्कंठा अपनीअंगड़ाईयाँ
लेने लगी !
हमारी उँगलियाँ
हमारे मोबाइल के बटनों को
दबाने लगी !!
हमने भी हजारों
दोस्तों की
बड़ी सी एक
फौज बना ली !
जांचा ना परखा
ना सोचा
कमजोर ईंटों
से दीवार बना ली !!
सोचा उनके
विचारों से
हम कुछ
सिख पाएंगे !
उनके सानिध्य
में रहकर
सपनों का महल बनाएंगे !!
दो शब्द अपनी भाषाओँ में
लिखते तो
हमारे
नयन जुड़ाते !
और हम आपकी लेखनी से
आपकी प्रतिभाओं को जान जाते !!
कितनों ने तो
अपनी पहचान प्रोफाइलों में
छुपा रखी है !
राबता भी करें
तो करें किससे
अपनी
फ़ितरत जो
छुपा रखी है !!
किसी ने अपनी
सूरत छुपाकर
तस्वीर किसी
और की लगा
रखी है !
हम श्रेष्ठ माने
या कनिष्ठ समझें उन्होंने अपनी
उम्र ही
छुपा रखी है !!
पर असंवेदनशीलता के चादर को
जब तक उतार
नहीं फेकेंगे !
मित्रता के अटूट
बंधनों को टूटने
से हम कभी
नहीं रोक पाएंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका