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26 Dec 2020 · 1 min read

डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया के सपने। क्या कभी होंगे अपने। सोचो जरा जोर लगाकर। सोचो जरा अपने को गिरवी रख के। सोचो जरा बुद्धि को उधार लेकर। सोचो जरा कर्मचारियों के चक्कर लगाते। क्या होते काम समय से अपने। डिजिटल इंडिया के सपने। होंगे कभी अपने। सोचो यार सोचो सोचने का कुछ लगे नहीं धन। अरे घुमाओ घुमाओ अपना तन और मन। कोई कितना सुनता है और कोई कितना बनता है। सब के सब लगे हैं पैसे से पैसा कमाने में। जीटल इंडिया के सपने होंगे कभी अपने। सोचो सोचो किसी नेता के पीछे खड़े होकर। अपना नेता कैसा है। पड़ोसी को मालूम है दारू पीकर जीते हैं सपने। क्या कभी सच होंगे डिजिटल इंडिया के सपने

Language: Hindi
3 Comments · 220 Views
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