डायरी के पन्ने पर
डायरी के आखिरी पन्ने पर
डायरी के आखिरी पन्ने पर,
मेरा नाम लिखता जरूर होगा
और कुछ देर बाद वही ,
मेरा नाम मिटता भी जरूर होगा।
तारी हो जाती होगी जब बेखुदी उस पर,
खुद पे अनायास खीझता जरुर होगा।
और कभी निकल आये,
किसी किताब से मेरी तस्वीर
मां कसम रीझता जरुर होगा।
आफिस की टेबल पर से
उचक कर मेरी कुर्सी को वो
तकता जरुर होगा।
पता है,मैं नहीं हूं , फिर भी,
थोड़ा नाश्ता मेरे लिए
रखता ज़रूर होगा।
फिर खो जाता होगा फाईलों में,
न चाहते हुए खुद को उलझाता तो होगा।
फिर खुद ही परेशान होकर ,
चुपके से माफी वो
मांगता तो होगा।
सुरिंदर कौर