डर
ता उम्र भागता रहा
इसके उसके सबके पीछे
उतना ही उसने भगाया
जितना भागा पीछे पीछे
नुक्कड़ नुक्कड़ द्वारे द्वारे
गली गली गलियारे सारे
न दिन देखा न रतिया कारी
भागा पीछे ले निष्ठा सारी
डर ये हर पल रहा सालता
कहीं किसी को न दूँ खो
अब जो ठहरा तो है पाया
मुझे खोने का डर नहीं किसी को
रेखांकन।रेखा
७.१२.२४