Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2018 · 1 min read

डर नहीं जाता

डर नहीं जाता
०-०-०-०-०-०-०

न कहलाता कभी वो बुत तराशा ग़र नहीं जाता ।
इबादत भी नहीं होती नवाया सर नहीं जाता ।।

रवानी हो नहीं जिसमें उसे दरिया नहीं कहते ।
निकट दरिया ही’ जाता है कभी सागर नहीं जाता ।।

न देखो पाँव के छाले तलाशो है कहाँ मंजिल ।
सिकंदर है वही जो जंग से डर घर नहीं जाता ।।

जवानी चार दिन की है उतरना एक दिन पानी ।
सुनहरा हाथ से छोड़ा कभी अवसर नहीं जाता ।।

लिखा कुछ भी नहीं खाली सफे सब जिन्दगी के हैं ।
कलम भी हाथ में है पर लिखा अक्सर नहीं जाता ।।

भरोसा कुछ नहीं‌ किस मोड़ पर साँसें ठहर जायें ।
मग़र इस मौत का दिल से निकल कर डर नहीं जाता ।।

-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
***

361 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
View all
You may also like:
"ताले चाबी सा रखो,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
जन्म मरण न जीवन है।
जन्म मरण न जीवन है।
Rj Anand Prajapati
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
मरासिम
मरासिम
Shyam Sundar Subramanian
शृंगार छंद
शृंगार छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
विश्ववाद
विश्ववाद
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
जिंदगी की राह आसान नहीं थी....
Ashish shukla
ध्यान एकत्र
ध्यान एकत्र
शेखर सिंह
"गुलजार"
Dr. Kishan tandon kranti
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
Shashi kala vyas
‘बेटी की विदाई’
‘बेटी की विदाई’
पंकज कुमार कर्ण
घुली अजब सी भांग
घुली अजब सी भांग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
Trishika S Dhara
सोशल मीडिया पर
सोशल मीडिया पर
*Author प्रणय प्रभात*
मानव तेरी जय
मानव तेरी जय
Sandeep Pande
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
surenderpal vaidya
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
Vivek Pandey
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है " रवि " समय की रफ्तार मेँ हर कोई गिरफ्तार है
Sahil Ahmad
कभी कभी चाहती हूँ
कभी कभी चाहती हूँ
ruby kumari
ठहराव नहीं अच्छा
ठहराव नहीं अच्छा
Dr. Meenakshi Sharma
3103.*पूर्णिका*
3103.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
Anand Kumar
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते है, पर उनकी बातों में विश्
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...