डर के साये में
डर के साये में जिये जाते है।
खुद को तन्हा से किये जाते है।
वक्त इक दिन यह चला जाएगा,
घूँट संयम के पिये जाते है।
डर के साये में ……
देख दुनियाँ के निराले कौतुभ,
ज़ख्म सीने में सिये जाते है।
डर के साये में………………।
दिल किसी में भी नहीं लगता अब।
बोझ दिल पर ही लिये जाते है।
डर के साये में …………..।
जो छुआछूत कभी छोड़ी थी हमने।
उसको फिर से अपनाये जाते है।
डर के साये में ………….।
जो उड़ाते थे हँसी वल्कल की,
सब उसी और चले जाते है।
ज़िंदगी जीने की ज़रूरत कितनी ?
गौर इन बातों पे किये जाते है।
डर के साये में ………….।
*कलम घिसाई *