डर और हौसला
डर बुलंदियों को छूने नहीं देता।
हौसला कोई परवाह रहने नहीं देता।
कर्मठता ही शुद्ध जीवन की कसौटी है
आलस्य जिंदगी बनने नहीं देता।
अपने लक्ष्य के लिए कमर कस लो क्यों कि
जीवन किसी ख्वाब के सहारे नहीं चलता।
उड़ानें भरो कुछ पाने के लिए।
वास्तविकता के धरातल पर ही रहो
क्यों कि तुमें छूनी हैं बहुत सी ऊंचाइयां।
जमाने के साथ चले
तो वो तोड़ने में कसर न रखेगा।
छोटे से छोटा चूहा भी
शेर बनके न बख्शेगा।
प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74