डरिये, मगर किनसे….?
डरिये, मगर किनसे?
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डरिये हर वो बुरे कर्मों से ,
जो सदा गर्त में ले जाते हैं।
डरना भी अनुशासन का ही प्रतीक है।
हर निकृष्ट कामों से डरिये ,
यदि आप छात्र है डरिये ,
अपने माता-पिता और गुरुजनों से ,
तो बुरी आदतों से बच पायेंगे।
यदि आप सच्चे नागरिक हैं देश के ,
तो डरिये पुलिस और कानून व्यवस्था से।
तो आप पथभ्रष्ट होने से बच जायेंगे।
यदि आप गृहस्थ है तो डरिये ,
बदनियती और गलतफहमियों से ।
तो आप अपने घर को टूटने से बचा पायेंगे।
यदि आप गरीब और मेहनतकश मजदूर हैं ,
तो डरिये आलस्य और निक्कमेपन से ।
आप भुखमरी और बेसहारा होने से बच जायेंगे ।
यदि आप अमीर और महलों में रहने वाले हैं ,
तो डरिये मन के भटकाव और बुरे व्यसनों से ,
आप पतन के मार्ग पर जाने से बच जायेंगे ।
यदि आप धर्मपरायण हैं ,
तो डरिये हर उस मुखौटे पहने नास्तिकों से ,
जो आपकी संस्कृति को नष्ट करने में ,
दुश्मनों का साथ देने को मजबूर हैं ।
तो आप अपने स्वाभिमान को नष्ट होने से बचा पायेंगे।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १७ /०४ /२०२२
वैशाख ,कृष्ण पक्ष,प्रतिपदा ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201