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30 Dec 2022 · 1 min read

ठोकरें खाई है बहुत मैंने,वो एक बार भी नहीं आता

ठोकरें खाई है बहुत मैंने,वो एक बार भी नहीं आता
जिंदगी मौत बन गई मेरी,वो मेरे ख्वाब में नहीं आता

मन्नते रब से यही करता हूं रोज जीता में रोज मरता हूं
ज़ख्म भरते नहीं है सीने के,वो मेरी याद में नहीं आता

कभी लब्जो में उसका साया था वो मेरे लब्ज़ में नहीं आता
संग रहता था संग चलता था वो मेरे साथ में नहीं आता

“कृष्णा”जन्नत सी जिंदगी न तेरी फूल बरसाए जो ये गलियों में
कोई लगता नहीं है अपना था जो तेरे साथ में नहीं आता
कृष्णकांत गुर्जर

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