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22 Sep 2019 · 1 min read

ठेठ दिहाती,,,,,,

मैं गरीबी में जन्मा हूं,
गोदड़ी में पला हूं,
देहात में पढ़ा हूं,
फिर आगे बढ़ा हूं।
माता-पिता का आशीष लेकर,
शिक्षा का गहना पहनकर,
अब दुनिया की दौड़ में आ गया हूं,
मेरे सब व्यवहार से,
मेरे शिष्टाचार से,
दुनिया को जीतने लगा हूं।
मेहनत करके पढ़ा हू,
पहाड़ों से टकराया हूं,
पड़े ना लिखे मेरे माता-पिता,
मेरी संतान को क्या पता,
मेहनत करना जताया,
कर्म शीलता का पाठ पढ़ाया।
घमंड के महल कभी ना बनाना,
मैं ठेठ देहाती हूं,
जीवन भर सिखाया।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 203 Views
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