ठीक है
शीर्षक – ठीक है
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मुस्कराना और रोना सब ठीक है
खुशियों और जीवन में बस ठीक है
बस हम कहते रहते ठीक हैं
न जाने कितने सपने टूटते देखें ठीकहै
बस न हम टूटे आशा और उम्मीद ठीक है
अजनबी हम सब इस जहां में सब ठीक है
शहर और सोशल मीडिया सब ठीक है
सच और झूठ फरेब हम सभी ठीक है
हां ईश्वर कुदरत सब ठीक हैं
चाहत और मोहब्बत बस ठीक है
आशा और उम्मीद सब ठीक है
बस हम सभी साथ निभाते ठीक है।
हां हम सभी कहते ठीक हैं।
यही शब्द और हम जहां से कहते ठीक है।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र