टेढ़ी-मेढ़ी बातें
अत्र, तत्र, सर्वत्र करने प्यार
ना पहुंच सके जग दातार l
इस कमी को पूरी करने
भेजा मां को करने प्यार l
सजा देने उल्टी करनी की
बनाया सुंदर विधान l
संग पत्नी कर दिया
खींचने का कान l
आज कल के माता-पिता का
बड़ा अजब गजब का हाल l
बैठा बच्चों को स्कूल बस में
ऐसा करते टाटा बाय मानो विदेश पढ़ने जाए l
हमारे जमाने का था
बड़ा बेढब हाल l
ले फूल डोज चार लात का
दन दन करते स्कूल जाए l
खाना पचता नहीं
कमाते बचता नहीं l
पर्स में मानो बैठा गोडसे
गांधी बाबा टिकता नहीं l
लड़की पास तो
रेस्टोरेंट का बिल l
लड़की दूर तो
आए रिचार्ज बिल ल
छोड़ चली लड़की आए दारू का बिल कहे कवि जरा हटके
ना लगाओ दिल ना आएगा बिल l
अच्छी करनी करते रहो
फल मिले ना मिले l
शायद फलानी मिल जाए l
पुनः कहे जरा हटके
हंसते जाओ मुस्कुराते जाओ
जीवन का यूं लुफ्त उठाओ l
राजेंद्र कुमार रुंगटा कवि