134. टूट चुके रिश्ते
सब रिश्ते नाते टूट चुके हैं,
अब रहता हूँ तन्हाई में ।
चारों तरफ अब है अँधेरा,
जिंदा हूँ बस यादों की गहराई में ।।
जो मेरा अपना था यहाँ,
मुझे वो धीरे धीरे सब भूल चुके हैं ।
हमें लगता है ऐसा कोई न मेरा,
उनके सारे राज अब खुल चुके हैं ।।
जिस जिसको ज्यादा प्यार किया,
आज वही मुँह चिढ़ाता है ।
जिसे मान दिया सम्मान दिया,
वो बढ़ चढ़कर इतराता है ।।
मेरी संपत्ति पर भी राज वो करते,
पर उसे मेरा ख्याल न आता है ।
सबसे अपमान कराता है,
ऐसा नजारा देख देखकर,
कवि का दिल काफी पछताता है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 31/05/2021
समय – 05 : 10 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391