टूट गया जो पेड़ से
विनोद सिल्ला की कुंडलियां
टूट गया जो पेड़ से , होए पात खराब|
जड़ से जो है कट गया , रहता नहीं लुआब||
रहता नहीं लुआब, ठूंठ सूखा रह जाए|
बगैर ममता इंसान , ठूंठ ज्यों ही मुरझाए||
कह ”सिल्ला” कविराय, नेह पीछे छूट गया|
मतलबी हुआ जगत , वफा का दिल टूट गया||
-विनोद सिल्ला©