टूटी बटन
टूटी बटन
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दफ्तर जाते समय ,
जल्दी की हड़बड़ी में
मेरी कमीज की
टूटी बटन टाँकने में
बेशक अब तुम्हारी
अनुभवी उँगलियों द्वारा
सुई मुझे नहीं चुभा करती है ,
सुई तो पहले चुभ जाया करती थी
अब तो तुम्हारी उँगलियाँ
ही चुभ जाती हैं
मेरे सीने को स्पर्श करती
तुम्हारी उँगलियाँ
मन में मीठा दर्द जगाती हैं
तुम बटन टाँकने में
प्यार का
पुराना एहसास जगाती हो
मेरी कमीज का बटन
यूं ही टूटा करे
यह आस
शब्दो द्वारा मुझसे कहलाती हो ।
– अवधेश सिंह